Are You Practicing Yogasana Without Understanding Its Core Principle?
In the world of yoga, the term Sthir Sukham Asanam, as defined by Sage Patanjali, defines the essence of a true asana. This Sanskrit sutra emphasizes that a posture should be both stable (sthira) and comfortable (sukha). However, many practitioners overlook this core principle, engaging in dynamic movements that lack the depth of true yogic practice.
Understanding Sthir Sukham Asanam
The essence of an asana lies in its ability to create a balance between stability and comfort. When we rush through poses or engage in fast-paced sequences, we miss out on the profound effects that come from holding a pose for an extended period.
- Dynamic Movements vs. True Asanas:
Fast-paced yoga may feel invigorating but fails to provide the grounding that comes from stillness. An asana is not merely a position; it is a state of being where the mind merges with infinity.
The Power of Holding Poses
The real positive effects of asanas manifest when we hold the final pose, allowing our efforts to drop away. This is where transformation and end of polarity occurs:
- Effortless Being: Once you reach your final pose, release all effort and focus on normal breathing. This practice allows you to connect deeply with your inner self and experience tranquility.
Signs You’re Not Practicing True Asanas
- Rushed Transitions: If you find yourself moving quickly from one pose to another without pausing, you will experience higher Breath and Heart rate which is not expected in Asana practice.
- Lack of Comfort: If your practice leaves you feeling fatigued or anxious, it may be time to reassess your approach.
- Disconnection from Breath: True yoga fosters a connection with your breath; if you’re not aware of it, you’re likely not practicing effectively.
How to Embrace Sthir Sukham Asanam
- 5 steps : Take your time transitioning between 5 steps – Starting pose, Getting into Asana, Holding the Asana, Getting out of Asana and Short rest after Asana.
- Focus on Breath: Use your breath as an anchor. Inhale and exhale slowly while holding each pose.
- Practice Mindfulness: Be present in each moment of your practice, noticing how your body feels in each asana.
True yoga is not about how many poses you can perform in a short time; it’s about the depth of experience within each posture. By embracing the principle of Sthir Sukham Asanam, you can transform your practice into a journey of self-discovery and inner peace.
Take a moment today to reflect on your yoga practice. Are you holding poses long enough to experience their benefits? Explore this core principle and deepen your connection with yoga. This blog structure provides a comprehensive exploration of the core principle while encouraging readers to engage more deeply with their practice.
क्या आप योगासन का अभ्यास बिना मूल सिद्धांत को समझे, कर रहे हैं ?
योग की दुनिया में, स्थिर सुखं आसनम्, जिसे ऋषि पतंजलि द्वारा परिभाषित किया गया है, एक सच्चे आसन के सार को परिभाषित करता है। यह संस्कृत सूत्र इस बात पर जोर देता है कि एक मुद्रा को स्थिर (स्थिरं) और आरामदायक (सुखं) होना चाहिए। हालांकि, कई अभ्यासकर्ता इस मूल सिद्धांत को नजरअंदाज करते हैं, गतिशील आंदोलनों में संलग्न होते हैं जो सच्चे योगिक अभ्यास की गहराई से रहित होते हैं।
स्थिर सुखं आसनम् को समझना
एक आसन की सार्थकता इसकी स्थिरता और आराम के बीच संतुलन बनाने में है। जब हम मुद्राओं में जल्दी करते हैं या तेज़ गति के अनुक्रम में शामिल होते हैं, तो हम उस गहन प्रभाव को चूक जाते हैं जो एक मुद्रा को लंबे समय तक धारण करने से मिलता है।
- गतिशील आंदोलनों बनाम सच्चे आसन:
तेज़ गति वाला योग ऊर्जावान लग सकता है लेकिन स्थिरता से मिलने वाले आधार को प्रदान नहीं करता। एक आसन केवल एक स्थिति नहीं है; यह एक ऐसा अवस्था है जहाँ मन अनंतता में विलीन हो जाता है।
आसन धारण करने की शक्ति
आसनों के वास्तविक सकारात्मक प्रभाव तब प्रकट होते हैं, जब हम अंतिम मुद्रा को धारण करते हैं, जिससे हमारे प्रयास धीरे-धीरे कम हो जाते हैं। यहाँ परिवर्तन और द्वंद्वों का अंत होता है:
- बिना प्रयास का होना: जब आप अपनी अंतिम स्थिति तक पहुँचते हैं, तो सभी प्रयासों को छोड़ दें और सामान्य श्वास पर ध्यान केंद्रित करें। यह अभ्यास आपको अपने भीतर गहराई से जुड़ने और शांति का अनुभव करने की अनुमति देता है।
कया आप सच्चे आसनों का अभ्यास नहीं कर रहे हैं ?
- तेज़ संक्रमण: यदि आप एक आसन से दूसरे आसन में जल्दी से जा रहे हैं बिना रुके, तो आपको उच्च श्वास और हृदय गति का अनुभव होगा, जो आसन अभ्यास में अपेक्षित नहीं है।
- आराम की कमी: यदि आपका अभ्यास आपको थका हुआ या चिंतित महसूस कराता है, तो यह आपके दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने का समय हो सकता है।
- श्वास से असंबंध: सच्चा योग आपकी श्वास के साथ संबंध बनाता है; यदि आप इसके प्रति जागरूक नहीं हैं, तो आप शायद प्रभावी ढंग से अभ्यास नहीं कर रहे हैं।
स्थिर सुखं आसनम् को अपनाने के तरीके
- 5 स्टेप : 5 स्टेप्स के बीच संक्रमण करते समय अपना समय लें – प्रारंभिक मुद्रा, आसन में जाना, आसन को धारण करना, आसन से बाहर निकलना और आसन के बाद थोड़ी विश्राम करना।
- श्वास पर ध्यान केंद्रित करें: अपनी श्वास का उपयोग एक एंकर के रूप में करें। प्रत्येक स्थिति को धारण करते समय धीरे-धीरे साँस लें और छोड़ें।
- सचेत रहें: अपने अभ्यास के प्रत्येक क्षण में उपस्थित रहें, यह देखते हुए कि आपके शरीर में प्रत्येक आसन में कैसा महसूस होता है।
सच्चा योग इस पर निर्भर नहीं करता कि आप कितनी मुद्राएँ कम समय में कर सकते हैं; यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप प्रत्येक मुद्रा के भीतर अनुभव की गहराई कितनी प्राप्त कर सकते हैं। स्थिरं सुखं आसनम् के सिद्धांत को अपनाकर, आप अपने अभ्यास को आत्म-खोज और आंतरिक शांति की यात्रा में बदल सकते हैं।आज एक पल निकालें और अपने योग अभ्यास पर विचार करें। क्या आप मुद्राओं को पर्याप्त समय तक धारण कर रहे हैं ताकि उनके लाभों का अनुभव कर सकें? इस मूल सिद्धांत का अन्वेषण करें और योग के साथ अपने संबंध को गहरा करें।
6 responses to “Are You Practicing Yogasana Without Understanding Its Core Principle?”
Very informative and a boon to all looking to know how an asan show be actually practiced…
Is Yogasana meant for weight loss or fat loss ?
Yes ! That’s the correct way to practice Aasn letting the pose percolate deep in your organic body and with intelligence and awareness you should feel the asan.
Yoga is not meant for weight loss but it can be one of the many benefits.Very well understood Niranjan
The concept is explained in such a simple yet in v effective language that couldn’t keep it incomplete to read….
I always incorporate this teaching of yrs and v satisfactorily enjoying outcome…Looking for more such informative n interesting posts…
For me practice of asana is like worship!
Each asana is a journey into the architecture of the Soul, build it with awareness, balance and love
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