Is Yogic principle of Non-possession practical in today’s life ?
Aparigraha (अपरिग्रह) means non hoarding, non possession of objects. It may sound very difficult or perhaps unrealistic. We need various things, can’t wear the same dress everywhere, can’t live in a minimalist manner and appear odd. Also we like the objects we have that’s why we have bought them or aspire to have what we don’t have. And it’s normal for us.
Why should we do Aparigraha ?
Because too many possessions cause too much attachment. The mind gets entangled in them. We loose sight of the real purpose of life. These possessions cause (Raag) attachment and not having them, cause further pain and misery to the mind.
The practice of this Yama can be simple when you keep these questions in mind. Ask yourself when you want to possess something –
Do I need this?
If Yes, go for it
Do I desire it?
If Yes, ask the next question
Is it adding value to my life ?
If Yes, go for it
If No, Don’t fall for it
We can extend this principle to things, relationships and memories too !
क्या यौगिक सिद्धांत – अपरिग्रह आज के युग मे व्यावहारिक है ?
अपरिग्रह
अपरिग्रह का अर्थ है वस्तुओं की जमाखोरी न करना, वस्तुओं का कब्जा न करना। यह बहुत मुश्किल या शायद अवास्तविक लग सकता है। हमें विभिन्न चीजों की आवश्यकता है, हर जगह एक ही पोशाक नहीं पहन सकते हैं, न्यूनतम तरीके से नहीं रह सकते हैं और अजीब दिखाई देते हैं। इसके अलावा, हम उन वस्तुओं को पसंद करते हैं जो हमारे पास हैं, इसलिए तो हमने उन्हे खरीदा हैं, और जो हमारे पास नहीं है उसकी आकांक्षा करते हैं। और यह हमारे लिए सामान्य है।
हमें अपरिग्रह क्यों करना चाहिए?
क्योंकि बहुत अधिक चीजे बहुत अधिक लगाव का कारण बनती है। मन उनमें उलझ जाता है। हम जीवन के उद्देश्य को खो देते हैं। ये संपत्ति (राग) आसक्ति का कारण बनती है और उनके न होने से मन को और अधिक पीड़ा और दुख होता है।
इस यम का अभ्यास सरल हो सकता है जब आप इन चीजों को ध्यान में रखते हैं। जब आप कुछ प्राप्त करना चाहते हैं तब अपने आप से पूछें…
क्या मुझे इसकी आवश्यकता है?
यदि हाँ, तो ले लीजिए
क्या ये मेरी मनोकामना है ?
यदि हाँ, तो अगला प्रश्न पूछें
क्या यह मेरे जीवन में कुछ मूल्य, value जोड़ रहा है?
यदि हाँ, तो ले लीजिए
और ना , तो मना कर दो
हम इस सिद्धांत को विविध वस्तुओं , रिश्तों और अपनी memories स्मृतियों तक भी बढ़ा सकते हैं!
One response to “Is Yogic principle of Non-possession practical in today’s life ?”
short and simple inquiry-
leading to letting go of that which does not serve us-
to freedom-
from unwanted or unnecessary possessions, associations, emotions and so on.
Leave a Reply