Do you know one of the best ways to clean your alimentary canal?
Varisara Dhauti, also known as Shankhaprakshalana, is a profound yogic practice rooted in the Hatha Yoga tradition, specifically mentioned in the Gheranda Samhita. This technique is designed to cleanse the entire digestive tract, promoting overall health and well-being. However, it is crucial to perform this practice strictly under the guidance of an experienced teacher. In this blog, we will explore the process, benefits, and precautions associated with Varisara Dhauti.
What is Varisara Dhauti?
Varisara Dhauti involves drinking warm saline water and performing specific yoga asanas to facilitate the cleansing of the alimentary canal. The term “Shankhaprakshalana” combines two Sanskrit words: “Shankha,” meaning conch (symbolizing the digestive tract), and “Prakshalana,” meaning cleansing or washing. This technique effectively removes toxins and waste from the body, enhancing digestive health.
Preparation for Varisara Dhauti
- Water Preparation:
- Warm Saline Water: Prepare a solution of warm water mixed with salt. The salt helps prevent absorption into the bloodstream, allowing the water to travel through the digestive system without being absorbed. This promotes effective cleansing by flushing out impurities.
- Empty Stomach:
- Ensure that you perform this practice on an empty stomach for maximum effectiveness.
The Process of Varisara Dhauti
- Drink Two Glasses of Warm Saline Water:
- Start by drinking two glasses of the prepared warm saline water.
- Perform a Set of Five Asanas:
- Engage in the following yoga asanas at a reasonable speed while focusing your mind on your abdomen area. Each asana helps progressively open the valves in the alimentary canal. Maintain a reasonable speed during each asana while keeping your mind focused on the abdominal area.
Tadasana (Mountain Pose)
Tiryak Tadasana (Swaying Palm Tree Pose)
Katichakrasana (Standing Spinal Twist)
Tiryak Bhujangasan (Twisted Cobra Pose)
Udarakarshan (Abdominal Stretch Pose)
- Nature Calls:
- If you feel the urge to use the restroom during the process, you can restart the sequence.
- Repeat for 3 to 4 Sets:
- Continue with 3 to 4 sets of drinking saline water and performing these asanas until you begin passing clear water.
Post-Practice Care
After completing Varisara Dhauti:
- Diet: Consume 2 teaspoons of pure cow ghee, then a light meal of saltless watery soft khichdi after waiting for about 30-45 minutes. Avoid any salt or spices to allow your digestive system to rest and recover.
Benefits of Varisara Dhauti
- Cleansing Action: This practice is one of the best shuddhi kriyas for relieving constipation and improving digestive health.
- Detoxification: It helps eliminate toxins accumulated in the gastrointestinal tract.
- Enhanced Digestion: By flushing out waste and undigested food particles, it rejuvenates the digestive system.
- Improved Nutrient Absorption: A clean digestive tract enhances nutrient absorption, promoting overall health.
Important Precautions
Always perform Varisara Dhauti under the supervision of an experienced teacher.
Ensure you are in good health before attempting this practice; consult a healthcare professional if you have any underlying medical conditions.
क्या आपको आपकी अन्ननलीका का
शुद्ध रखने का तरीका पता है?
वारीसार धोती, जिसे शंखप्रक्षालन के नाम से भी जाना जाता है, एक गहन योगिक अभ्यास है जो हठ योग परंपरा में निहित है, विशेष रूप से गेरंद संहिता में उल्लेखित है। यह तकनीक पूरे पाचन तंत्र को शुद्ध करने के लिए डिज़ाइन की गई है, जो समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देती है। हालाँकि, इस अभ्यास को केवल अनुभवी शिक्षक की देखरेख में करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस ब्लॉग में, हम वारीसार धोती की प्रक्रिया, लाभ और सावधानियों का अन्वेषण करेंगे।
वारीसार धोती क्या है?
वारीसार धोती में गर्म खारे पानी का सेवन करना और विशेष योग आसनों का अभ्यास करना शामिल है ताकि आहार नाल की सफाई को सुगम बनाया जा सके। “शंखप्रक्षालन” शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है: “शंख,” जिसका अर्थ है शंख (जो पाचन तंत्र का प्रतीक है), और “प्रक्षालन,” जिसका अर्थ है सफाई या धोना। यह तकनीक प्रभावी रूप से शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट को निकालती है, जिससे पाचन स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- पानी की तैयारी:
- गर्म खारे पानी: गर्म पानी में नमक मिलाकर एक घोल तैयार करें। नमक रक्त प्रवाह में अवशोषण को रोकने में मदद करता है, जिससे पानी पाचन तंत्र के माध्यम से बिना अवशोषित हुए यात्रा कर सकता है। यह अशुद्धियों को बाहर निकालने के लिए प्रभावी सफाई को बढ़ावा देता है।
- खाली पेट: सुनिश्चित करें कि आप इस अभ्यास को अधिकतम प्रभावशीलता के लिए खाली पेट करें।
वारीसार धोती की प्रक्रिया
- दो गिलास गर्म खारे पानी पिएं: तैयार किए गए गर्म खारे पानी के दो गिलास पीने से शुरुआत करें।
- पांच आसनों का सेट करें:
- निम्नलिखित योग आसनों का अभ्यास करें जबकि अपने मन को पेट के क्षेत्र पर केंद्रित रखें। प्रत्येक आसन आहार नाल में वाल्वों को क्रमिक रूप से खोलने में मदद करता है:
ताड़ासन
तिर्यक ताड़ासन
कटिचक्रासन
तिर्यक भुजंगासन
उदराकर्षण
- प्राकृतिक आह्वान:
- यदि आपको प्रक्रिया के दौरान शौचालय जाने की इच्छा होती है, तो आप क्रम को फिर से शुरू कर सकते हैं।
- 3 से 4 सेट दोहराएं:
- खारे पानी पीने और इन आसनों का अभ्यास करते रहें जब तक कि आप साफ पानी पास करना शुरू न कर दें।
अभ्यास के बाद की देखभाल
वारीसार धोती पूरी करने के बाद:
- आहार: लगभग 30-45 मिनट बाद दो चमच, गाय के घी और बिना नमक और मसाले वाले नरम खिचड़ी का हल्का भोजन करें। अपने पाचन तंत्र को आराम करने और ठीक होने देने के लिए किसी भी नमक या मसाले से बचें।
वारीसार धोती के लाभ
- शुद्धिकरण क्रिया, विषाक्तता समाप्ति,सुधरे हुए पाचन, सुधरी हुई पोषक तत्व अवशोषण
महत्वपूर्ण सावधानियाँ
अनुभवी शिक्षक की देखरेख में करें, कोई अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियाँ हैं तो स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लें, यदि आप गर्भवती हैं या आंतों की समस्याएँ जैसे अल्सर या गंभीर दस्त हैं तो इस प्रथा से बचें।
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